भारत में बेरोज़गारी: एक बड़ी चुनौती
भारत, जो दुनिया के सबसे अधिक जनसंख्या वाले देशों में से एक है, आज बेरोज़गारी जैसे गंभीर मुद्दे से जूझ रहा है। यह समस्या न केवल आर्थिक विकास को बाधित करती है बल्कि सामाजिक असमानता को भी बढ़ावा देती है। विविध और विशाल कार्यबल के बावजूद, बेरोज़गारी दर में उतार-चढ़ाव देश की प्रगति को धीमा करता है।
महत्वपूर्ण आँकड़े और वर्तमान स्थिति
India Employment Report 2024
- कार्यशील जनसंख्या: 2011 में 61% → 2021 में 64% → 2036 तक 65% (अनुमानित)।
- युवा बेरोज़गारी: 2022 में आर्थिक गतिविधियों में शामिल युवाओं का प्रतिशत घटकर 37% रह गया।
Trading Economics Data
- बेरोज़गारी दर (नवंबर 2024): 8% (अक्टूबर 2024 में 8.7%)।
- औसत बेरोज़गारी दर (2018-2024): 8.17%।
- उच्चतम स्तर (अप्रैल 2020): 23.5% (कोविड-19 के दौरान)।
- निम्नतम स्तर (सितंबर 2022): 6.4%।
बेरोज़गारी के प्रभाव और चुनौतियाँ
प्रमुख चुनौतियाँ:
- युवाओं पर प्रभाव: रोजगार की कमी उनके मानसिक स्वास्थ्य और करियर पर नकारात्मक प्रभाव डालती है।
- महिलाओं की भागीदारी: श्रम बल में उनकी कम भागीदारी समस्या को गहराती है।
- कौशल की कमी: नई तकनीकों के साथ तालमेल की कमी।
प्रभाव:
- आर्थिक विकास में रुकावट।
- सामाजिक असमानता और असंतोष।
समाधान और भविष्य की राह
- कौशल विकास और पुन: कौशल: युवाओं के लिए उद्योगों के अनुकूल प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करना।
- रोजगार सृजन: उद्यमिता को प्रोत्साहन और एमएसएमई तथा श्रम-प्रधान उद्योगों का समर्थन।
- महिला सशक्तिकरण: महिलाओं की श्रम बल में भागीदारी बढ़ाने के लिए नीतियाँ बनाना।
- नीतिगत सुधार: श्रम कानूनों को सरल और प्रभावी बनाना, सामाजिक सुरक्षा तंत्र को सुदृढ़ करना।
निष्कर्ष
भारत, अपने जनसांख्यिकीय लाभांश के इस महत्वपूर्ण दौर में, बेरोज़गारी जैसी चुनौती का सामना कर रहा है। हाल की बेरोज़गारी दर में गिरावट सकारात्मक संकेत है, लेकिन स्थायी समाधान के लिए दीर्घकालिक और समग्र नीतियों की आवश्यकता है।
एक समृद्ध और आत्मनिर्भर भारत का सपना तभी साकार हो सकता है जब हर युवा को अवसर मिले और हर हाथ को काम।