नवंबर 2024 में महंगाई में मामूली गिरावट , लेकिन ज़रूरी चीज़ों की कीमतों का दबाव जारी
भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate in November 2024)
भारत की खुदरा महंगाई दर (Retail Inflation Rate) में नवंबर में मामूली गिरावट दर्ज की गई है लेकिन अक्टूबर में यह 6.21% थी, जो घटकर नवंबर में 5.48% पर आ गई है। हालांकि, यह 14 महीने के उच्चतम स्तर से राहत देती है, लेकिन महंगाई लगातार तीसरे महीने 5% से ऊपर बनी हुई है, जिससे आम आदमी की जेब पर दबाव बना हुआ है।
खास बात यह है कि ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ जैसी आवश्यक चीज़ों की कीमतें अभी भी बढ़ रही हैं, भले ही उनकी वृद्धि दर थोड़ी धीमी हुई हो।(Sources: मनीकंट्रोल, रॉयटर्स)
महंगाई के कारणों पर एक नजर
खाद्य पदार्थों में महंगाई: मिले-जुले संकेत
- अनाज (Cereals): वार्षिक महंगाई दर 6.9% पर स्थिर रही, लेकिन अक्टूबर की तुलना में दाम 0.9% बढ़े।
- दूध (Milk): कीमतें पिछले साल की तुलना में स्थिर रहीं, लेकिन खाद्य तेलों की महंगाई दर अक्टूबर के 6% से घटकर 3.1% रह गई।
- सब्जियां (Vegetables): मासिक आधार पर दाम 1% घटे, लेकिन वार्षिक महंगाई दर 30% पर बनी रही, जो घरेलू बजट पर भारी पड़ रही है।
मकान और कपड़े की कीमतें बढ़ीं
- मकान (Housing): नवंबर में पिछले महीने की तुलना में 0.2% की वृद्धि हुई, जो किराए और प्रॉपर्टी से जुड़े खर्चों में लगातार वृद्धि दिखाती है।
- कपड़े और जूते (Clothing & Footwear): वार्षिक महंगाई दर 2.7% पर स्थिर रही, लेकिन मासिक आधार पर दाम 0.3% बढ़े।
आंकड़ों की गहराई में
- 299 वस्तुओं में से 206 वस्तुओं के दाम अक्टूबर की तुलना में बढ़े।
- लगभग 10% वस्तुओं की कीमतों में 1% से ज्यादा मासिक वृद्धि दर्ज की गई।
- वार्षिक आधार पर महंगाई दर 0.2% कम हुई, लेकिन इसका असर ज़रूरी चीज़ों की कीमतों पर नजर नहीं आता।
आर्थिक चुनौतियां और जनता की मुश्किलें
विशेषज्ञों का कहना है कि महंगाई में मामूली गिरावट से राहत जरूर मिलती है, लेकिन आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतें आम आदमी पर भारी पड़ रही हैं।
सरकार के लिए महंगाई को नियंत्रण में रखना और आर्थिक विकास को बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है। खासकर खाद्य पदार्थों, मकान, और कपड़ों की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
मुख्य संदेश
महंगाई में गिरावट भले ही आंकड़ों में दिख रही हो, लेकिन ज़रूरी चीज़ों की बढ़ती कीमतें आम जनता के लिए चिंता का कारण बनी हुई हैं। राहत की राह अभी लंबी हो सकती है (Sources: मनीकंट्रोल, रॉयटर्स)