यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में
यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में
हिसाब सब का जरूर होगा, एक दिन कयामत में
दर्द ए दिल की दवा लेने गए थे, जिस के पास हम
वह खुद ही बीमार निकला, मेरी मुहब्बत में
यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में
हिसाब सब का जरूर होगा, एक दिन कयामत में
दर्द ए दिल की दवा लेने गए थे, जिस के पास हम
वह खुद ही बीमार निकला, मेरी मुहब्बत में
दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की तेरे दरबार में सजदा जु , मुझे तो आरज़ू तेरे गुफ्तगू की न ख्याल तर हु, न गुमशुदा हु अफाक ए महफ़िल से तेरी इबादत में , हा तलब बस मुझे तेरी जुस्तजू की
“यह जरूरी नही है के हम समय को कितना महत्व दे रहे है , महत्व यह है के हम समय के साथ कितना खेल रहे है. मेरा मानना है समय इंसान की सब से बड़ी कमजोरी है और समय के साथ बंधा हुआ इंसान कभी इतिहास नही बनाता..”
“ इंसान गलतियों से सबक सिखता है, यह जरूरी नहीं के कोन गलत है, जरूरी यह है क्या गलत है. बीते हुए दिनों को सपने की तरह भूल जाओ, मेरा मानना है के नए दिनों की शुरुवात पुरानी यादों से करने वाले लोग अक्सर नुकसान में रहते है ”
“इंसान अपने अतीत को कभी भुला नहीं सकता, क्योंकि बीते हुए लम्हे उसकी यादों में बस जाते हैं। कई बार, न चाहते हुए भी वे लम्हे उसे परेशान कर देते हैं, मगर यही ज़िंदगी की खूबसूरती है—यह हमें बार-बार अपने होने या न होने पर सोचने पर मजबूर करती है। लेकिन सच्चाई यह है कि…
Sahib, Sahiba, aur Begum: A Tale of Love, Ambition, and Destiny BY Shahid Siddiqui Introduction:- “Sahib, Sahiba, and Begum” is a fictional tale that took me four years to develop. Throughout this time, I struggled to craft a storyline where these three characters could impact the lives of everyone around them. Although the story…
Update version : 1.0-11-12-2024 जिंदगी के पहलू में रिश्ते की हकीकत रिश्ते जीवन का आधार हैं। वे हमारे अनुभवों, भावनाओं और विचारों का मूलभूत हिस्सा होते हैं। परंतु क्या हमने कभी सोचा है कि इन रिश्तों की सच्चाई क्या है? हम सबने कभी न कभी रिश्तों के उतार-चढ़ाव को महसूस किया है। यह किताब जीवन…