यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में

यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में

यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में हिसाब सब का जरूर होगा, एक दिन कयामत में दर्द ए दिल की दवा लेने गए थे, जिस के पास हम वह खुद ही बीमार निकला, मेरी  मुहब्बत में

दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की

दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की

दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की तेरे दरबार में सजदा जु , मुझे तो आरज़ू तेरे गुफ्तगू की न ख्याल तर हु, न गुमशुदा हु अफाक ए महफ़िल से तेरी इबादत में , हा तलब बस मुझे तेरी जुस्तजू की    

इंसान गलतियों से सबक सिखता है

इंसान गलतियों से सबक सिखता है

“ इंसान गलतियों से सबक सिखता है, यह जरूरी नहीं के कोन गलत है, जरूरी यह है क्या गलत है. बीते हुए दिनों को सपने की तरह भूल जाओ, मेरा मानना है के नए दिनों की शुरुवात पुरानी यादों से करने वाले लोग अक्सर नुकसान में रहते है ”