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यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में

यह दुनिया इस कदर , गुम है अपनी जहालत में हिसाब सब का जरूर होगा, एक दिन कयामत में दर्द ए दिल की दवा लेने गए थे, जिस के पास हम वह खुद ही बीमार निकला, मेरी  मुहब्बत में

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दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की

दिल-ए-मुर्तजा बन जाए , होगी इख़्तियार तेरे आरजू की तेरे दरबार में सजदा जु , मुझे तो आरज़ू तेरे गुफ्तगू की न ख्याल तर हु, न गुमशुदा हु अफाक ए महफ़िल से तेरी इबादत में , हा तलब बस मुझे तेरी जुस्तजू की    

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